ऐसे करते थे हरे सिग्नल को लाल
पुलिस ने बताया कि जब कोई ट्रेन
पटरी से गुजरती है तो कुछ देर के लिए पटरी के जोड़ के बीच थोड़ी
सी जगह बन जाती है। इसमें
रबड़ आ जाती
है। मौका पाकर
बदमाश पटरी के बीच में दो रुपये का सिक्का डाल देते थे। सिक्का डालते ही रबड़ भी बीच से हट जाती
थी।सिक्का डालने पर दोनों पटरियों को करंट का अर्थ
नहीं मिलता है और अर्थ न मिलने की वजह से सिग्नल ग्रीन
के बजाय लाल हो जाता था।सिग्नल लाल होते ही ट्रेन चालक को लगता था कि आगे खतरा है और चालक ट्रेन
को रोक देते
थे। जैसे ट्रेन
रुकती थी, हथियारों से लैस बदमाश
स्लीपर व एसी डिब्बे में सवार
हो जाते थे और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम
देते थे।
हर बदमाश की तय होती थी भूमिका
पुलिस पूछताछ में पता चला है कि दो रुपये का सिक्का लगाने के बाद एक बदमाश
पटरी से दूर हो जाता था और अन्य बदमाश
दो किलोमीटर दूर खड़े रहते थे, जिससे कि सिग्नल ग्रीन से लाल होने पर ट्रेन
रूके और बदमाश
उसमें दाखिल होकर
लूटपाट कर सके।गिरोह के एक बदमाश
की भूमिका लूट के सामान को बेचने की होती
थी। गिरोह के तीन बदमाश लोकेश,
मोनू और राजू
को बीते दिनों
रामपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
तीन से पांच मिनट
का लगता था समय
सिग्नल हरा से लाल होने पर ट्रेन
रुकती थी। विशेषज्ञ द्वारा सिग्नल को फिर से हरा करने में तीन से पांच मिनट
का समय लगता
था। ऐसे में बदमाशों के पास महज तीन से पांच मिनट का समय ही लूटपाट के लिए रहता
था। बदमाश कम समय में ही लूट कर मौके
से फरार हो जाते थे।बदमाश अपने पास दो रुपये
का लकी सिक्का रखते थे, जिससे
कि सबसे ज्यादा बार सिग्नल हरे से लाल होता
था। बदमाशों के पास से सात लकी सिक्के भी बरामद किए गए हैं।
हो सकता था बड़ा हादसा
पुलिस का मानना है कि पटरी के बीच में सिक्का लगाने से कई बार ट्रेन पटरी
से भी उतर जाती है। यदि बदमाशों को समय पर नहीं पकड़ा
जाता तो उनकी
वजह से बड़ा ट्रेन हादसा हो सकता था। बदमाशों के द्वारा अपनाए
गए नायाब तरीके
से यात्रियों की जान खतरे में रहती है।